महाशिवरात्रि 2022 क्यों मनाई जाती है – जानिए पूरी जानकारी।
भारतीय मान्यता के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्य और चंद्र अधिक नजदीक रहते हैं. इस दिन को शीतल चन्द्रमा और रौद्र शिवरूपी सूर्य का मिलन माना जाता हैं।
भगवान शिव को पूरे देश में अलग-अलग रूपों में स्वीकारा गया है. पूरे देश में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
शिवरात्रि को लेकर पूरे देश भर में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है. इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और देश भर में अनेक जागरण होते हैं।
भगवान शिव के मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन काफी सारे भक्त आते हैं और कुछ मंदिरों में इस दिन भक्तों की संख्या हजारों लाखों में होती है।
भगवान शिव की उपासना के लिए सप्ताह के सभी दिन अच्छे माने जाते हैं लेकिन सोमवार को शिव की आराधना का एक विशेष महत्व होता है।
वैसे तो भारत में काफी सारे देवों की मान्यता है लेकिन भारतीय ग्रंथों के अनुसार कुछ देवों को सर्वोपरि माना गया है जिनमें से विष्णु, ब्रह्मा और शिव प्रमुख हैं।
इन तीनों देवताओं को त्रिदेव भी कहा जाता है लेकिन इन सभी देवताओं में ही भगवन शिव का स्थान पूरी तरह से अलग है, ख़ास इसीलिए ही उने देव नहीं महादेव कहा जाता है।
भगवान शिव को पूरे देश में कई अलग-अलग रूप में स्वीकार किया गया है। कहीं पर शिव को नीलकंठ के नाम से जानते हैं तो कहीं पर शिव को नटराज के नाम से पूजा जाता है।
भारत के कई प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ जैसे कि अमरनाथ और कैलाशनाथ भगवान शिव पर ही आधारित है जहां पर हर साल हजारों लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं।
अलग-अलग ग्रंथों में महाशिवरात्रि की अलग-अलग मान्यता मानी गई है. कहा जाता है कि शुरुआत में भगवान शिव का केवल निराकार रूप था।
भारतीय ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आधी रात को भगवान शिव निराकार से साकार रूप में आए थे।