मेजर ध्यानचंद्र सिंह जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है भारत के महान हॉकी खिलाड़ी थे उन्होंने भारत देश को लगातार तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीताया था। उनके समय में भारत हॉकी में सबसे प्रमुख टीम हुआ करती थी और इसका कारण ध्यानचंद थे जो कि वह अलग तरीके से गोल किया करते थे जो भारत को अन्य देशों से अलग दिखाती थी।
मेजर ध्यानचंद के कठिन परिश्रम और लगन की वजह से वे दुनिया के महान हॉकी खिलाड़ी बन गए। ध्यानचंद ने अंतरराष्ट्रीय मैच में 400 से अधिक गोल किए। उन्हें पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया तथा हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यान चंद्र खेल रत्न अवॉर्ड‘ कर दिया। इनके जन्मदिन को देश में खेल दिवस (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है यहां तक की प्रसिद्ध जर्मन तानाशाह हिटलर भी इनके फैन थे अभिनेता पृथ्वीराज कपूर भी उनके फैन थे।
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हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction of Dhyan Chand)
व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम | ध्यानसिंह |
उपनाम | हॉकी का जादूगर ( द विजार्ड ) |
जन्म | 29 अगस्त 1905 |
जन्म स्थान | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश भारत |
ऊंचाई | 5 फीट 7 इंच ( 170 से.मी. ) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
जाति | राजपूत |
वजन | 70 किलोग्राम |
शौक कुकिंग | शौक कुकिंग |
खेलने का स्थान | फॉरवर्ड |
पिता का नाम | सूबेदार समेश्वर दत्त सिंह |
पिता का पेशा | आर्मी में सूबेदार |
माता का नाम | शारदा सिंह |
पत्नी का नाम | जानकी देवी |
बेटा | सोहन सिंह, अशोक कुमार, उमेश कुमार , देवेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, बृजमोहन सिंह, राजकुमार |
बेटी | कोई बेटी नहीं थी |
भाई | मूल सिंह, रूप सिंह |
बहन | कोई बहन नहीं थी |
मृत्यु | 3 दिसंबर 1979 |
मृत्यु का कारण | लिवर कैंसर |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में |
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1950 में उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद जो वर्तमान में प्रयागराज है मैं एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम समेश्वर दत्त सिंह तथा माता का नाम शारदा सिंह था।
ध्यानचंद के दो भाई थे किंतु कोई बहन नहीं थी। उनके भाई का नाम मूल सिंह तथा रूप सिंह था। महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद के पिता पेशे से आर्मी में सूबेदार थे।
कैसे पड़ा ध्यानचंद नाम ? (How did Dhyan Chand get the name ?)
ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। ध्यानसिंह 16 वर्ष की आयु में भारतीय सेना में सिपाही के रूप में शामिल हुए थे और वे हॉकी खेलते थे। अक्सर रात को हॉकी का अभ्यास करते थे जो कि वह सुबह में भारतीय सेना में सिपाही का काम किया करते थे। अतः उन्हें अक्सर रात में चांद की रोशनी में अभ्यास करना पड़ता था अतः उनके दोस्तों ने चांद कहकर पुकारा करते थे और बाद में उन्हें ध्यानचंद नाम दे दिया गया।
मेजर ध्यानचंद की शिक्षा ( Education of Major Dhyan Chand )
ध्यानचंद ने सिर्फ कक्षा छठवीं तक पढ़ाई की है क्योंकि उनके पिता आर्मी में थे जिसकी वजह से उनका तबादला बार-बार होता था यही वजह है कि उन्हें अपनी पढ़ाई कक्षा छठवीं में ही छोड़नी पड़ी।
ध्यानचंद ने हॉकी खेलना कैसे सीखा? (How Dhyan Chand learn to play hockey? )
ध्यानचंद को शुरू से ही हॉकी से लगाव नहीं था उन्हें तो कुकिंग और रेसलिंग करना बहुत पसंद था। उन्हें हॉकी खेलना बिल्कुल नहीं आता था। उन्होंने हो कि अपने घर के आस-पास रहने वाले दोस्तों से सीखा यह पेड़ की टहनी से हॉकी स्टिक बनाते थे और कपड़े के टुकड़े से बाहर बनाते थे और फिर खेला करते थे।
ध्यानचंद ने सबसे पहले कब हॉकी खेली? (When did dhyanchand first play hockey? )
ध्यानचंद जब 14 साल के थे तो वे अपने पिता के साथ हॉकी का मैच देखने गए थे यह मैच आर्मी वालों द्वारा खेला जा रहा था क्योंकि उसके पिता आर्मी में सूबेदार थे। इसलिए वे उस उसे ले गए थे वहां उस मैच में ध्यानचंद ने देखा कि एक टीम दो गोल से हार रही थी तो ध्यानचंद ने अपने पिता से कहा कि वह उस हारने वाली टीम के साथ खेलना चाहते हैं। उसके पिता ने आर्मी ऑफिसर से इस चीज के लिए बात की आर्मी ऑफिसर ने आदेश दे दिया। फिर ध्यानचंद ने हारने वाली टीम के साथ खेला फिर क्या था ध्यानचंद ने देखते ही देखते चार गोल कर दिए या देखकर सब दंग रह गए और वह आने वाली टीम जीत गई।
ध्यानचंद ने आर्मी कैसे जॉइन की? (How did Dhyan Chand joined army? )
जब ध्यानचंद अपने पिता के साथ आर्मी के लोगों द्वारा हॉकी खेल देखने गए थे तो उन्होंने देखा एक टीम दो गोल से हार रही थी। फिर क्या था ध्यानचंद ने अपने पिता से उस हारने वाली टीम के लिए खेलने का आग्रह किया। ध्यानचंद ने देखते ही देखते वह सामने वाली टीम के लिए चार गोल कर दिया और उस टीम को जीत दिला दिया। सब देखकर सभी लोग दंग रह गए। ध्यानचंद की प्रतिमा से प्रसन्न होकर आर्मी ऑफिसर ने उसे आर्मी जॉइन करने का ऑफर किया।
ध्यानचंद को हॉकी विजार्ड नाम कैसे मिला? (How Dhyan Chand got the name hockey wizard? )
मेजर ध्यानचंद बहुत ही लगन और परिश्रम के साथ होती खेला करते थे उनका खेल पर इतना नियंत्रण था कि गेंद उनकी स्टिक से चिपकी रहती थी उनका इस प्रतिभा को एक बार तो मैच के दौरान नीदरलैंड को शक हुआ तो उन्होंने उनकी हॉकी स्टिक को चेक करवाया और तसल्ली की कि हॉकी स्टिक में कहीं चुंबक तो लगा नहीं है ना।
उन्हें हॉकी विजार्ड की उपाधि इसलिए मिली क्योंकि एक बार ऐसा हुआ कि पंजाब टूर्नामेंट मैच झेलम में हो रहा था ध्यानचंद की टीम दो गोल से हार रही थी तभी ध्यानचंद ने आखिर के 4 मिनट में 3 गोल धड़ाधड़ लगा दिए लगा दिए और अपनी टीम को जीता दिया। यह सब देखकर सभी लोग दंग रह गए और ने नकी प्रतिभा को लोग समझ गए इसके बाद ध्यानचंद जी को ‘हॉकी विजार्ड’ कहा जाने लगा।
हिटलर थे ध्यानचंद के मुरीद (Hitler was a fan of dhyan chand )
प्रसिद्ध महान जर्मन तानाशाह हिटलर भी ध्यानचंद के खेल से बहुत प्रसन्न थे। उन्हें ध्यानचंद के गोल करने का तरीका बहुत पसंद आता था। ध्यानचंद की प्रतिभा से प्रसन्न होकर ही जर्मनी के महान हिटलर उसे जर्मनी की आर्मी में हाई पोस्ट देने का ऑफर किया था। किंतु हमारे ध्यानचंद जी ने उस ऑफर को ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें अपने देश और यहां के लोगों से बहुत लगाव था।
क्रिकेट के ब्रैडमैन थे ध्यानचंद के फैन (bradman of cricketer was a fan of Dhyan Chand )
क्रिकेट के महान खिलाड़ी ब्रैडमैन जब एडिलेड में मैच खेलने गए तब वहां ध्यानचंद का भी मैच था। ध्यानचंद का मैच देखकर वे इतने प्रसन्न हुए कि उसके फैन बन गए और कहा कि वे इस तरह से खेलते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं।
ध्यानचंद के ओलंपिक पदक ( Dhyan’s Chand Olympic Medal )
साल | प्रतियोगिता का नाम | प्रतिद्वंदी | टीम पदक |
1928 | एम्सटर्डम ओलंपिक | हॉलैंड | स्वर्ण पदक |
1932 | लॉस एंजिल्स ओलंपिक | अमेरिका | स्वर्ण पदक |
1936 | बर्लिन ओलंपिक | जर्मन | स्वर्ण पदक |
सम्मान और उपलब्धियां ( goods and achievements of Dhyan Chand )
• उन्हें भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण दिया गया।
• उनके जन्मदिन को भारत का ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
• उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी की जा रही है।
• उनके जन्मदिन के दिन ही अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाता है।
• उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है।
• उन्हें ‘हॉकी विजार्ड’ कहां जाता है।
• हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद अवॉर्ड’ रखा है।
क्या हुआ जब ध्यानचंद ने एक भी गोल नहीं किए? (What happened when Dhyan Chand didn’t score a single goal? )
एक बार हॉकी खेलते वक्त ध्यानचंद से एक भी गोल नहीं हुए लोग उनकी प्रतिभा से तो हो गए थे ही लेकिन जब लोगों ने देखा कि उनसे एक भी गोल नहीं हुआ तो वे आश्चर्यचकित हुए किंतु लोग और भी हक्का-बक्का तब हुए जब ध्यानचंद ने कहा कि गोल पोस्ट छोटा है इसलिए मैं गोल ठीक से नहीं कर पा रहा अतः गोल पोस्ट की जांच हुई जब गोलपोस्ट को नापा गया तो सचमुच छोटा ही था यह सब देख कर लोग उनकी प्रतिभा के साथ-साथ उनकी समझ, बुद्धि से अवगत होकर दंग रह गए।
वियना में ध्यानचंद की मूर्ति (Dhyan Chand statue in Vienna)
ध्यानचंद को भारत के लोग के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोग प्रेम करते थे। यही वजह है कि वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिए ध्यानचंद की बहुत ही सुंदर सी मूर्ति का निर्माण किया गया जो उनके द्वारा प्रेम और यह दिखाता है कि ध्यानचंद हॉकी के सचमुच महान खिलाड़ी थे और वह बहुत दिलचस्प खेला करते थे।
ध्यानचंद की मृत्यु कैसे हुई?( How Dhyan Chand Died?)
जहां एक ओर प्रसिद्ध महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद ने भारत के लिए बहुत कुछ किया वहीं दूसरी और उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा उन्हें लिवर कैंसर जैसी बीमारी हो गई जिसके इलाज के लिए बहुत सारे पैसों की आवश्यकता थी किंतु उनके पास इतने पैसे नहीं थे। पैसों की किल्लत की वजह से उन्हें दिल्ली के AIIMS Hospital के जनरल वार्ड में भर्ती करवाया गया और वहीं 3 दिसंबर 1979 को महान हॉकी खिलाड़ी का देहांत हो गया और वे इस दुनिया से विदा हो गए।
ध्यानचंद पुरस्कार राशि में कितनी धनराशि दी जाती है? (How much amount is given in Dhyan Chand award?)
पहले ध्यानचंद पुरस्कार में दी जाने वाली राशि 5 लाख रुपए थी किंतु इसे बाद में खेल मंत्री किरण रिजिजू द्वारा बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है।
ध्यानचंद स्टेडियम कहां बनाया गया है? (Where was Dhyan Chand stadium built?)
प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम दिल्ली में बनाया गया है।
ध्यानचंद भारत के लिए कितने स्वर्ण पदक जीत चुके हैं? (How many gold medals has Dhyan Chand won by India?)
हॉकी के जादूगर महान ध्यानचंद भारत के लिए 3 बार लगातार 1928, 1932 और 1936 में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
हाल ही मैं राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम ध्यानचंद के नाम पर रखा गया (recently Rajiv Gandhi Khel Ratna award has been named after dewanchand )
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड रख दिया है इसका निर्णय मोदी जी ने हाल ही में हुए भारत की टोक्यो ओलंपिक खेल में 41 साल बाद मेडल जीतने के शुभ अवसर पर घोषणा की है।
शुक्रवार 6 अगस्त 2021 को भारत की महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों के ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ कांस्य पदक जीत की खुशी में प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें देश के कई नागरिकों से राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद अवार्ड रखने का अनुरोध प्राप्त हो रहे थे इसलिए उन्होंने उसका नाम बदला है और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए खेल में दिए जाने वाले सबसे बड़े अवॉर्ड का नाम बदल दिया गया है अब यह मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा। यह फैसला देश के लोगों को बहुत पसंद आया और सभी ने इसे सहारा और इस फैसले का सम्मान किया।
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FAQ
मेजर ध्यानचंद किस खेल से संबंधित थे?
मेजर ध्यानचंद हॉकी खेल से संबंधित है।
मेजर ध्यानचंद के पिता का नाम क्या था?
मेजर ध्यानचंद के पिता का नाम सोमेश्वर दत्त सिंह था।
मेजर ध्यानचंद का जन्म कहां हुआ था?
मेजर ध्यानचंद का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद राज्य में हुआ था जो वर्तमान में प्रयागराज में है।
ध्यानचंद का जन्म कब हुआ था?
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था।
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब हुई थी?
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को हुई थी।
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु का कारण क्या था?
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु का कारण लीवर कैंसर था।
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कहां हुई?
मेजर ध्यानचंद की मृत्यु दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में हुई थी।
मेजर ध्यानचंद के जन्म दिन को भारत में किस दिन के रूप में मनाया जाता है?
मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को भारत में ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर क्या रखा गया है?
राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद अवार्ड रखा गया है।
मेजर ध्यानचंद ने कितनी बार भारत को स्वर्ण पदक जीताया?
मेजर ध्यानचंद ने भारत को तीन बार स्वर्ण पदक जीताया।
मेजर ध्यानचंद सिंह को किस वर्ष पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया?
मेजर ध्यानचंद सिंह को 1956 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
मुझे आशा है कि आपको यह लेख मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर का परिचय पसंद आया होगा। मैं हमेशा पाठकों को ऋण के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश करता हूँ ताकि उन्हें इस लेख के बारे में अन्य साइटों या इंटरनेट पर खोजने की आवश्यकता न हो। जिससे उनका समय भी बचेगा और सारी जानकारी एक ही जगह मिल जाएगी।
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